छत्तीसगढ़ के भिलाई की Kavita Krishnan एक नारीवादी कार्यकर्ता और अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला संघ (AIPWA) की सचिव हैं। कृष्णन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के पोलित ब्यूरो की सदस्य भी हैं और इसके मासिक प्रकाशन, लिबरेशन की संपादक भी। दरअसल कविता कृष्णन लेफ़्ट ऐक्टिविस्ट हैं और राइट विंग वाले इनसे खार खाते हैं। इन्होने निर्भया के 2012 के दिल्ली सामूहिक बलात्कार के बाद महिलाओं के खिलाफ हिंसा की समस्या को सार्वजनिक किया है।
जो इन्हें जानते हैं उनमें से भी कम लोग यह जानते हैं कि 2013 में दुनिया के 100 विचारकों की सूची में सुप्रसिद्ध मानवाधिकार कार्यकर्ता कविता कृष्णन को 77वां स्थान दिया गया है।
Kavita Krishnan का जन्म 18 जनवरी 1973, को तमिलनाडु के कुनूर जिले में हुआ था। इनके तमिल माता-पिता का नाम लक्ष्मी कृष्णन, ए॰ एस॰ कृष्णन है। पिता ने एक स्टील प्लांट में इंजीनियर के रूप में काम किया उसी दौरान छत्तीसगढ़ के भिलाई ये पली-बढ़ी और मां से अंग्रेजी सीखी। बाद में कृष्णन की शिक्षा सेंट जेवियर्स कॉलेज, मुंबई (1990–1993) और जवाहरलाल नेहरु युनिवर्सिटी (JNU) में हुई थी। उन्होंने मुंबई के सेंट ज़ेवियर कॉलेज से बीए पूरा किया और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में एमफिल किया।
क्या हैं कविता कृष्णन के विचार?
“I don’t believe in god or in any super-human power. I also believe humans should behave with humility towards other species- because animals are non-human ‘people,’ and do have social ways, feelings, and rights of their own…!“
– Kavita Krishnan
अब कविता कृष्णन के विचारों को भी ध्यान से सुनिए।
आपको इनके विचार कैसे लगे? नीचे दिये कमेन्ट बॉक्स में जरूर लिखे।