जब कोरोना का इतिहास लिखा जाऐगा तो सबसे पहले ये लिखा जाएगा की भंडारे मे फोकट की पुरी-सब्जी रेलने वालों और मंदिर, मस्जिद, चर्च में जाकर सर पटकने वालों ने भी Corona virus को दुनिया भर में फैलाया है।
Corona virus को फैलने में पहला मददगार कारण



फ्रांस के Mulhouse स्थित एक चर्च में फरवरी महीने में एक धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन हुआ था, वहाँ कोई Corona virus संक्रमित भी था, 18 से 22 फरवरी तक उस चर्च में सामूहिक प्रार्थना हुई, जिसमें दुनिया भर के हजारों लोग शामिल हुए। इसके बाद वे लोग दुनिया के अलग-अलग हिस्से में वापस चले गए और कोरोना वायरस टाइम बम बनकर अब अलग-अलग जगह कहर बरपा रहा हैं। अब तक करीब 2500 ऐसे संक्रमित मरीज सामने आ चुका हैं जिन्होंने उस दिन इस चर्च के कार्यक्रम में हिस्सा लिया था। अब इस चर्च से जुड़े 17 संक्रमित लोगों की मौत हो चुकी है।
दूसरा बड़ा मददगार कारण



मलेशिया में Petaling मस्जिद दुनिया के कई देशों में Corona virus फैलाने के लिए जिम्मेदार बनी, 27 फरवरी से लेकर 1 मार्च के बीच यहां एक बड़ा धार्मिक कार्यक्रम हुआ, जिसमें लगभग 16 हज़ार लोगों ने हिस्सा लिया था। इनमें 1500 विदेशी नागरिक थे और उन सबका दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों से संबंध था। इस मस्जिद से जाने वाले लोगों को संक्रमित पाया जा रहा है और अब इसे दक्षिण एशियाई और खाड़ी देशो में Corona virus फैलाने का सबसे बड़ा दोषी माना जा रहा है।
लंदन मे भी इस्कॉन मंदिर ने वायरस को प्रसाद की तरह बाँटा है, 11 मार्च को इस्कॉन मंदिर मे भंडारा हुआ जिसमें हजारो लोग इकट्ठा हुए। फिलहाल इस भंडारे में आने वालों में से 10 लोगों की मौत हो चुकी है, 74 के करीब पॉजिटिव है। इस भंडारे के बाद ही लंदन में कोरोना का ग्राफ तेजी से बड़ा है ।
इससे पहले ईरान से भी लोग अपनी धार्मिक भावनाओं को जाहिर करने के लिए मस्जिदों के दरवाजों को चूमते, चाटते नज़र आ रहे थे। लोग कह रहे थे कि उन्हें अल्लाह पर भरोसा है और उसे मस्जिदों की दीवार चूमने से कोई नहीं रोक सकता, फिलहाल दीवार चाटने की वजह से ईरान की जबान बाहर निकली हुई है।
भारत में थे ये बड़े कारण
भारत-पाकिस्तान जैसे जाहिल देशो का तो कहना ही क्या- मध्य प्रदेश के मुरेना का सुरेश दुबई से कोरोना पॉजिटिव होकर लौटा और अपनी दादी के मृत्यु भोज का प्रोग्राम रख दिया, तेहरवीं की खीर पूडी़ उड़ाने वालों मे से अब 12 लोग पॉजिटिव निकल चुके । मध्य प्रदेश मे वायरस फैलाने का सबसे बड़ा जिम्मेदार सुरेश को ही माना जा रहा है।
मुंबई के उल्हासनगर में 49 साल की एक महिला दुबई से कोरोना पॉजिटिव होकर आयी
और 8 मार्च को उसने एक आश्रम में सत्संग में हिस्सा लिया था, जहां करीब 1500 लोग थे,
अब पुलिस इनकी डिटेल खंगाल रही है की कौन-कौन लोग सत्संग मे आए ।
निजामुद्दीन मे तब्लीगी जमातियो ने तो पूरे देश मे इस्लाम के प्रचार प्रसार से ज्यादा कोरोना का प्रसार कर दिया,
और ये जमाती खुद इतने जाहिल है की पकड़-पकड़कर जांच के लिए लाना पड़ रहा है,
संक्रमित हो चुके लोग दवाई खाने को तैयार नहीं और उनमें अधिकतर ऐसे है
जो हॉस्पिटल या आईसोलेशन वार्ड मे भी रहने को तैयार नहीं, इनको तो ऐसे डर लग रहा है
जैसे वहाँ डॉक्टर कटे हुऐ को सिलकर फिर से घर वापसी करवा देंगे।
और मोदी जी की जाहिल वानर सेना का तो खैर कोई जवाब ही नहीं,
ये गधे इकट्ठा होकर सोशल डिस्टेंस के लिए रैली निकालते है,
मोमबत्ती जलाकर थाली बजाने बैठ जाते है और सोचते है की अब हम सुरक्षित हैं।
और फिर जुलूस निकालकर “गो कोरोना गो” के नारे लगाकर खुशियां मनाते है ।
दुनिया में जितनी बेवक़ूफ़ियाँ होती हैं,
उन सभी में धार्मिक बेवक़ूफ़ी सब से ज़्यादा ख़तरनाक होती है।
पूरी दुनिया के विभिन्न धर्मो, मज़हबों, रिलीजियन्स की तथाकथित धार्मिक मूर्खता को देखिये,
ये आस्तिक लोग ही है जो कोरोना की समस्या को और बढ़ा रहे हैं।