सबसे ज्यादा जटिल मामला धर्म का लगता है। धर्म क्या है? इसकी खोज में पहले हम संतों से पूछते थे। वे बताते थे, कि दया धर्म का मूल है या ‘परहित सरिस धर्म नहीं भाई, परपीड़ा सम नहीं अधमाई‘। परोपकार से बढ़कर दूसरा धर्म नही है और किसी को दुख पहुंचाने से बढ़कर कोई दूसरा अधर्म नहीं है। सभी धार्मिक अनुयायी अब यही कहते सुनाई पड़ते है कि- सावधान, Dharam Sankat Mein Hai !- जाने क्यों, अब सारे धर्म ख़ुद पर खतरा महसूस करने लगे हैं?
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ईसाई कहते हैं मेरा Dharam Sankat Mein Hai
हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान ने कहा कि दुनिया में ईसाई इस समय सबसे ज्यादा खतरे में हैं। उनकी शिकायत यह है कि यूरोप के उदारवादी यानी लिबरल ईसाइयत के लिए कुछ नहीं कर रहे। उन्होंने दुनिया में ईसाइयत की मदद के लिए एक फंड भी बनाया है। ओरबान की इस बात से रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी सहमत हैं और जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल भी। अब इतने सारे बडे़ लोग कह रहे हैं, तो बात झूठी थोड़े न होगी।
हिन्दू कहते हैं मेरा Dharam Sankat Mein Hai
यहां इस बात पर तो संतोष किया ही जा सकता है कि यूरोप के शक्तिशाली देशों का भी संकट वही है, जो हमारे लोगों का है। हमारे यहां भी बड़ी संख्या में लोग यही मानते हैं कि हिंदू धर्म संकट में है। काफी सारे लोग अलग-अलग मंचों से और सोशल मीडिया पर चीख-चीखकर यह कह रहे हैं। सोशल मीडिया पर तो एक सज्जन यहाँ तक लिखते हैं कि गरीबी, भुखमरी, अशिक्षा, ये सब तो आती-जाती रहेंगी, ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि धर्म पर ध्यान दिया जाए, क्योंकि हो सकता है कि जल्द ही हम हिन्दुस्तान में अल्पसंख्यक हो जाएं।
अभी दिवाली के दिन अपने देश में समझ में आया कि धर्म पटाखों में भी है। पटाखे हमने भी बचपन में चलाए और समझदार होने पर छोड़ दिया, लेकिन तब पता ही नहीं चला कि पटाखों में धर्म होता है। तब हम पटाखे मजे के लिए चलाते थे, हमें कभी पता ही नहीं चला कि यह इतनी गंभीर धार्मिक कार्रवाई है कि लोग जान पर खेलकर पटाखे चलाएंगे नहीं तो धर्म खतरे में आ जाएगा।
मुस्लिम कहते हैं मेरा Dharam Sankat Mein Hai
दूसरी तरफ इस्लाम खतरे में है का नारा पाकिस्तान से लेकर इराक और सीरिया तक में न जाने कब से गूंज रहा है। इस्लाम को खतरे से बचाने के लिए न जाने कितने रणबांकुरे जगह-जगह जंग लड़ रहे हैं। हाल ही में अपने धर्म को खतरे से निकालने के लिए एक रणबांकुरे ने पेरिस में एक शिक्षक का गला रेत दिया। अब पता लग रहा है कि धर्म जाने कहां-कहां है। क्योंकि धर्म तो उस चाकू में भी था, जिसे हत्यारा अपने साथ लेकर गया था। अब तो श्रीलंका और म्यांमार के बौद्ध नेताओं को भी यह लग रहा होगा कि उनका धर्म खतरे है।
तो समाधान भी इन खतरों से ही निकलेगा !
दुनिया में जब सारे ही Dharam Sankat Mein Hai, तो जरूरी है
कि इस मामले में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्रवाई की जाए।
मेरा प्रस्ताव यह है कि अलग-अलग धर्मों के खतरे से चिंतित समस्त नेताओं की एक बैठक बुलाई जाए
और उनसे यह कहा जाए कि वे सब मिलकर कोई हल निकालें, तभी उस बैठक से बाहर निकले।
ज्यादा उम्मीद यही है कि वे सभी यह कहते हुए एक-दूसरे पर टूट पडे़गे कि तुम्हारा नहीं,
हमारा धर्म खतरे में है, तुम तो हमारे धर्म के लिए खतरा हो।
यह निर्णायक युद्ध ही आखिर धर्मों के संकट का हल होगा।
अच्छा है, सभी धर्म खतरे में हैं। सत्य आधारित तार्किक वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अंततः उन्हें उन्मूलित होना ही है। ये और अधिक कपोल कल्पित मंझधार में लोगों को नहीं ले सकते।