धार्मिक बंदों में कितना Dharmik Jhooth, खोखलापन और पाखंड होता है इसे कोरोना ने सामने ला के रख दिया। यह ठीक है कि अपनी सुरक्षा आपको हर हाल में खुद करनी है, इसी विज्ञान के भरोसे करनी है जिसे उन्होंने खुद से धर्म का सहज प्रतिद्वंदी बना लिया है… कहीं से कोई चमत्कार नहीं होता लेकिन सब जानते-बूझते तमाम तरह की अवैज्ञानिक बातों पर न सिर्फ यक़ीन करते हैं बल्कि हर उपलब्ध मौके पर उनका प्रचार-प्रसार भी करते हैं… तब उनका विरोधाभासी रवैया ऐसे मौकों पर बड़ा हास्यास्पद हो जाता है।
Dharmik Jhooth | गोमूत्र और गोबर की महिमा का बखान
Dharmik Jhooth का एक बड़ा उदाहरण वह कबीला है जो दिन रात गोमूत्र और गोबर की महिमा के बखान में लगा रहता है, एक योग वाला लाला मौका ताड़े अपनी जड़ी-बूटियों से चीन तक को मदद करने के ऑफर करता नजर आता है लेकिन जैसे ही भारत में वायरस का वास्तविक खतरा सामने आता है तब बिलकुल अलग मोड में आ जाते हैं। हिंदू हितैषी शेर होली-मिलन समारोह तक से सार्वजनिक तौर पर इनकार करना शुरू कर देते हैं कि कहीं हाथ मिलाने या गले मिलने पर संक्रमित न हों जाये। तब गोमूत्र गोबर वाला विज्ञान सब तहा कर रख दिया जाता है।





Dharmik Jhooth के तहत एक कबीला वह है जो कोरोना के रूप में चीन को मुसलमानों को प्रताड़ित करने की सज़ा के रूप में प्रचारित कर रहा था, जिसका दावा था कि काबा खुदाई तौर पर इतनी सुरक्षित जगह है कि खुदा खुद उसकी हिफाजत करता है, आबे ज़मज़म में वह शिफा है कि किसी भी मर्ज को ठीक कर दे और हर बीमारी से बचने की दुआ तो उनके पास मौजूद थी ही… लेकिन जब वास्तविक खतरा मंडराया तो एडवाइजरी जारी कर रहे हैं, कि उमरा रोक दिया गया है, हराम कहे जाने वाले Alcohol वाले Sanitizer से सैनिटाईज कर रहे हैं और न आबे-ज़मज़म पे अब यकीन बचा है न दुआओं पे… तो बचाव के सभी वैज्ञानिक उपाय करते नजर आ रहे हैं।
अचानक से एक Virus सभी ईश्वरीय शक्तियों और चमत्कारों से बड़ा दिखने लगा है।
इनके चक्करों में मत फँसिए!





खैर.. इनसे अलग हट कर अगर सोचेंगे तो इतना पैनिक होने की जरूरत नहीं है, बाजार का शिकार होने से बेहतर है कि थोड़ी हल्की-फुल्की एहतियात कर लें और जानकारी जुटा लें। यह मास्क लगा कर बचने वाली चीज नहीं है, दूसरे हाथ धोना बढ़िया उपाय जरूर है लेकिन भारतियों के लिये यह बेहद टफ टास्क है क्योंकि दिन भर कुछ न कुछ चीजें छूने और हाथ चेहरे तक ले जाने की आदत होने के चलते कुछ टाईम हाथ धो लेना ही सब कुछ नहीं है।
बाकी गले को गीला रखिये, गरारा कर लीजिये दिन में एक बार… और सबसे बड़ी बात कि अपनी इम्यून पावर पे भरोसा रखिये। यह वायरस ठंडी जगहों और कम तापमान में ज्यादा प्रभावी है और इसकी जान लेने की क्षमता और दूसरे कई प्रमुख संक्रमणों से कम है। मर सिर्फ वही रहे हैं जो पहले से किसी बीमारी से जूझ रहे हों और उनकी इम्यून पावर कम हो गयी हो, वर्ना शरीर का प्रतिरोधी तंत्र खुद इससे कुछ ही दिनों में लड़ना सीख लेता है। फिर भारत का गर्म वातावरण इसके लिये सूटेबल भी नहीं है।
तो संक्रमण फैलना अलग चीज है, मौत होना अलग चीज.. एहतियात कर लेना अलग चीज है और पैनिक होना अलग चीज।