मेरे एक दोस्त के पिता ‘Get up early in the morning’ को लेकर इस हद तक ज़िद्दी हैं कि उनके हिसाब से दुनिया की सारी बीमारी लोगों को इसीलिए होती है क्योंकि लोग ‘देर से सोकर’ (woke up late) उठते हैं। ये सोच मेरे दोस्त के पिता की ही नहीं है बल्कि भारत के लगभग हर घर मे एक बुज़ुर्ग ऐसा होता है जो इस तरह की धारणाओं से बुरी तरह से ग्रसित रहता है और वो पूरे घर को नाको चने चबवाये रहता है।
These beliefs are similar to religious belief
इस तरह की धारणाएँ असल में वैसी ही हैं जैसे Religious beliefs होती हैं। समय के साथ इनमें बदलाव बहुत ज़रूरी है। अगर आप इन धारणाओं को समय के साथ नहीं बदलते हैं, अपने घर और आसपास लोगों को शिक्षित नहीं करते हैं तो इस सब का नुकसान कितना बड़ा है कि इसे आप सोच भी नहीं सकते।
मित्र के व्यवसायी पिता जो कि रोज़ देर रात लगभग ग्यारह बजे अपनी दुकान बंद करते हैं। उसके बाद घर आते हैं। भोजन करते करते उन्हें बारह बज जाता है। तो स्वाभाविक सी बात है कि उन्हें सोते-सोते एक बज जाएगा। फिर भी वो सुबह 4 बजे उठ जाते हैं। उनका यह रूटीन वर्षों से चल रहा है। इतनी रात को भोजन करना और सुबह चार बजे उठ जाना। तो नतीजा उसका ये हुआ कि उनके पेट में अल्सर हो गया। फिर हर्निया भी। जिस की वजह से उन्हें आपरेशन कराना पड़ा। अब वो बिल्कुल सादा भोजन ही कर पाते हैं क्योंकि अब कुछ भी गरिष्ठ भोजन उनको नहीं पचता है।
अब पूरी तरह से उनकी सेहत ख़राब हो चुकी है सिर्फ उनके ये ‘Get up early in the morning’ वाली सोच की बीमारी की वजह से। सारी ज़िंदगी उन्हें कोई मिला ही नहीं जो यह बताए कि Get up early in the morning से ज़्यादा ज़रूरी है रोज़ कम से कम सात घंटे की नींद लेना। क्योंकि उनको अब तक जितनी भी परेशानी हुई वो सिर्फ़ और सिर्फ़ लंबे समय तक पूरी नींद न लेने की वजह से हुई है। इंसान को आधी से ज़्यादा छोटी-मोटी शारीरिक समस्याएं सिर्फ़ भरपूर नींद लेने से ही सही हो जाती हैं। लगभग 98% मानसिक समस्याएं अच्छी नींद लेने से उड़न छू हो जाती हैं।
वो दौर अब नहीं रहा जब लोग खेतों में काम करते थे और सुबह तड़के पांच बजे खेतों में हल चलाने के लिए जल्दी घर छोड़ देते थे। उस वक़्त लोग शाम छः से सात बजे तक हर हालत में सो जाते थे। और सुबह चार या पांच बजे तक उठ जाते थे। उनकी 8-9 घंटे की नींद पूरी हो जाती थी।
पुराने दौर के लोगों से हमारे बुज़ुर्गों ने ये तो सीख लिया कि Get up early in the morning, लेकिन यहां वो ये जानना भूल जाते हैं कि कितने बजे सोने वाले को कितने बजे उठना है। कोई रात बारह बजे अगर सो रहा है और आप उसे सुबह पांच बजे उठा दे रहे हैं तो 100% तय है कि उसे कोई न कोई बीमारी हो ही जाएगी। सबसे पहले उसका पाचन ख़राब होगा, बाद में अन्य बीमारियां घेर लेंगी।
इसलिए इस दौर में जो भी आपको सुबह पांच बजे उठने के लिए ज़ोर ज़बरदस्ती करे उसका भरपूर विरोध करिए।
Resist getting up early in the morning
अगर आप सात बजे सो जाते हैं तब आप पांच बजे उठिए, कोई दिक्कत नहीं है लेकिन अगर आप रात बारह बजे सो रहे हैं तो आपको किसी भी हाल में पांच बजे नहीं उठना चाहिए। आपको कम से कम आठ बजे तक सोना ही है। आपको अगर सुबह जल्दी आफिस जाना है या और काम करने हैं तब आप हर हालत में नौ बजे तक सो जाएँ। अगर सुबह जल्दी उठे बिना आपका काम नहीं चलता है तो रात जल्दी सोने की आदत डालिये। मगर हर हाल में 7-8 घंटे की नींद जरूर पूरी कीजिये।
ये वो दौर नहीं है जहां आप बुज़ुर्गों की हर बात को आंख मूंद कर मान लें। ख़ासकर भारत के बुज़ुर्गों की। जिनके लिए सर्दी में केला खाना नुकसानदायक होता है, गर्मी में अंडा खाने से गर्मी हो जाती है, गर्मी में ड्राई फ्रूट खाओगे तो गर्मी हो जाएगी। और जाने क्या क्या?? इनके हिसाब से कनाडा की बर्फ़ में रहने वालों को केला कभी खाना ही नहीं चाहिए। अफ्रीका की गर्मी में रहने वालों को अंडा और ड्राई फ्रूट जीवन मे कभी नहीं खाना चाहिए। इन बुज़ुर्गों से उतना ही सीखिए जितना इस दौर में आपकी सेहत और समाज के लिए अच्छा हो। ये ज़रूरी नहीं है कि आप इनकी हर बात को इसलिए मानें क्यूंकि बस ये आपसे उम्र में बड़े हैं।
Don’t get up early in the morning
खूब सोइये, सुबह की नमाज़ और सुबह की आरती और सूर्य नमस्कार उनके लिए फायदेमंद होता है जो 7-8 बजे तक सो जाते हैं। अगर आप रात बाहर बजे सो रहे हैं और सुबह पांच बजे उठकर सूर्य नमस्कार कर रहे हैं तो फ़ायदा होने की जगह नुकसान होने के चांस ज्यादा हो जाते हैं फिर आपकी सेहत चौपट हो जाएगी जिसकी भरपाई होना बहुत मुश्किल होता है।
~ताबिश सिद्धार्थ