Chimera meaning in Hindi – क्या आप Chimera हो सकते हैं?
वर्ष 2002 में वाशिंगटन (अमेरिका) में एक ऐसी बच्ची का जन्म हुआ था जिसकी एक आंख भूरी तो दूसरी बादामी थी। बच्ची के पेट में एक ओर अंडाशय, तो दूसरी ओर वृषण मौजूद था। इससे भी रोमांचक हालात तब पैदा हुए थे जब डॉक्टर्स ने बच्ची का ब्लड टेस्ट करके यह जाना कि लड़की के भीतर मौजूद रक्त “दो व्यक्तियों” का है। यह बच्ची एक Chimera या काइमेरा थी।
जी हाँ… जिनमें से एक व्यक्ति पुरूष तो दूसरी एक महिला थी।
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क्या ऐसा होना संभव है? Chimera meaning in hindi
जी हाँ… बिल्कुल… वास्तव में हुआ यह था कि बच्ची की मां के पेट में गर्भधारण के बाद दो जुड़वा भ्रूण पैदा हुए थे। एक भ्रूण लड़का था, तो दूसरा लड़की। फिर दोनों भ्रूण आपस में फ़्यूज हो गए, जो कि अक्सर हो जाते हैं। परिणाम के तौर पर एक ऐसी बच्ची हमारे सामने थी, जिसके अंदर दो अलग इंसानों के DNA समान रूप से पनप रहे थे।
काइमेरा क्या होता है?
शरीर में एक से अधिक प्रकार के DNA धारण करने वाले व्यक्तियों को वैज्ञानिक शब्दावली में “काइमेरा” (Chimera) कहा जाता है। Chimera शब्द ग्रीक माइथोलोजी में वर्णित एक विचित्र जानवर से लिया गया है जिसका शरीर बकरी का, सिर शेर का, तो पूंछ सांप की होती थी। भारतीय इतिहास में कुछ ऐसे ही महिषासुर जैसे जीवों का वर्णन मिलता है। जैसे-जैसे विज्ञान उन्नति कर रहा है, यह साबित होता जा रहा है कि आधुनिक विश्व में उम्मीदों से कहीं अधिक वास्तविक Chimera घूम रहे हैं।
2003 में अमेरिका की लीडिया फैरचाइल्ड नामक दो बच्चों की माँ ने तीसरे बच्चे को जन्म देते समय तलाक लेने के इच्छुक पति से गुजारा-भत्ता हासिल करने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया। केस में कार्यवाही के दौरान जब बच्चों के DNA टेस्ट की रिपोर्ट सामने आई तो पता चला कि लीडिया अपने ही बच्चों की माँ नहीं है। अर्थात उसका DNA, उसके खुद के बच्चों से मेल नहीं खाया और उसे अपने ही बच्चों की Kidnapping के जुर्म में हिरासत में ले लिया गया।
लीडिया का जन्म कैसे हुआ था?
बाद में जज के आदेश पर लीडिया के गर्भाशय ग्रीवा से लिये DNA का मेल उसके बच्चों से खा गया। अर्थात लीडिया के शरीर में भी दो DNA एक साथ पनप रहे थे। हुआ कुछ ऐसा था कि लीडिया की माँ ने शुरुआती दौर में दो भ्रूण (दोनों लड़की) को जन्म दिया था। दोनों भ्रूण अकस्मात रूप से फ़्यूज हो गए और इस फ़्यूज्ड भ्रूण से लीडिया का जन्म हुआ।
अर्थात… तकनीकी रूप से लीडिया अपने बच्चों की जितनी माँ थी… उतनी ही मौसी भी !!!
यहां कहानी उल्टी भी हो सकती है। एक विकसित होते भ्रूण की कोशिकाएं गर्भनाल के ज़रिए माँ के अंदर पहुंच शरीर का परमानेंट हिस्सा बन सकती हैं। 2012 में वैज्ञानिकों ने 59 मृत महिलाओं के मस्तिष्क का अध्ययन करके पाया है कि उन सभी महिलाओं के शरीर में Y-क्रोमोसोम युक्त कोशिकाएं मौजूद थीं। और ये पुरुष कोशिकाएँ आयी कहाँ से?
जवाब है: उनके बच्चों से।
यानी एक तरह से देखा जाए तो आप सिर्फ़ 9 महीने नहीं… बल्कि ताउम्र अपनी माँ के भीतर निवास करते हैं, बेशक आपका एक छोटा सा अंश…
बहरहाल… यह सब मैं आपको इसलिए बता रहा हूँ क्योंकि इन बातों के काफ़ी निहितार्थ हैं। चूंकि दो भिन्न कोशिकाएं एक शरीर में जीवित रह सकती हैं, इसलिए वैज्ञानिक आशावान हैं कि भविष्य में हम इंसानी दुर्लभ अंगों, जैसे कि दिल, लीवर इत्यादि, को जानवरों के भीतर पैदा करके अंग प्रत्यारोपण के लिए दुर्लभ अंगों की उपलब्धता को आसान बना सकेंगे।
तो क्या हम जल्द एक ऐसे विश्व में प्रवेश करने वाले हैं प्रयोगों के लिए उत्पन्न किये गए जानवर-इंसानी जीव मिथकों से निकल कर वास्तविक सरज़मीं पर घूमा करेंगे?
एक ऐसी दुनिया, जहां जानवरों को पाल, उनमें मानव अंगों को उत्पन्न कर, हम अपनी ज़िंदगी आसान बनाएंगे?
क्या हमें ऐसा करने का कोई हक़ है? मैं नहीं जानता… यह तो हमारी सामूहिक तर्कणा तय करेगी। हां, मैं इतना ज़रूर जानता हूँ कि…
Nature is Aweful… And we humans are so good to turn this “awe” into “awe” some things…
~विजय राज शर्मा