अक्सर ज्योतिषियों द्वारा सामान्यतः लोगो को ज्योतिष के अन्धविश्वास में फँसाने के लिए
ऋषियों और वेदों का नाम लिया जाता है और Astrology को ‘ज्योतिषम् नेत्रमुच्यते’
यानि वेद की आंख बता कर लोगो की आँख में धूल झोंकी जाती है।
क्या आप जानते हैं कि Astrology को वेद की आँख कहा गया है?
अब आज के व्यस्त समय में लोगो के पास वेद, पुराण पढ़ने का तो समय है नहीं,
इसलिए लोग कथित ज्योतिषी की बातों में आकर वेदों पर श्रद्धा के कारण ज्योतिष को सही मानने लगते है
और फिर ज्योतिषी के ठग जाल में फंस जाते है जबकि सत्य यह है
कि वेद में ज्योतिष, कुंडली, फलित, सिद्धांत, राशि आदि का कहीं कोई उल्लेख नहीं है
अतः स्पष्ट है कि फलित ज्योतिष वेद की आँख नहीं हो सकता।
आदिकाल के ऋषि, वांछित देवता को आहुति देने के लिए चन्द्रमा की उपयुक्त नक्षत्रीय स्थिति पर निर्भर रहते थे इसलिए ऋषि चन्द्रमा की नक्षत्रीय स्थिति ज्ञात करने के लिए जिस तरह की गणना का उपयोग करते थे उसे Astrology कहा जाता था और चूंकि उस ज्योतिष से यज्ञ करने का उपयुक्त समय ज्ञात किया जाता था इसलिए उस ज्योतिष को वेद की आँख कहा जाता था। और उसी ज्योतिष को आजकल खगोल शास्त्र या Astronomy कहते है। इसलिए चन्द्रमा की नक्षत्रीय स्थिति ज्ञात करने की गणना का तो ठग ज्योतिषियों को पता ही नहीं है पर भारतीय समाज के युवक-युवतियों को बेवकूफ बना कर ठगने के लिए इन्होने फलित ज्योतिष को वेद की आँख बता कर प्रचारित कर दिया।
स्पष्ट है कि सभी ज्योतिषी समाज की आँख में धूल झोंक कर ठगी के इस धंधे को चला रहे है।
इस लेख को हजारो ज्योतिषी पढ़ेंगे पर शायद ही कोई आगे बढ़ कर इस बिन्दु पर चर्चा करे। क्योंकि अंतर्मन से वह भी जानते है कि वह ठग हैं इसलिए अपने ठगी के धंधे को बचाने के लिए आगे नहीं आएंगे, इसी तथ्य से आप ज्योतिषियों की असल हकीकत समझ सकते है।
~सनत जैन
जागो ग्राहक जागो, ज्योतिषियों से दूर भागो।