बातें Rasool Allah – Imam-ul-Ambiya की





आप फरमाते हैं कि हज़रत नूह की उम्र 950 साल थी।
जबकि आपके Rasool Allah सिर्फ 63 साल ही जिये थे।
आप फरमाते हैं कि आदम 30 मीटर लंबे थे।
जब कि ‘Imam-ul-Ambiya’ का कद 6 फुट से भी कम था।
कई बास्केटबॉल बुतपरस्त खिलाड़ी भी 7 फुट के होते हैं।
आप फरमाते हैं कि हज़रत यूसुफ इतने हसीन थे कि उनके मालिक की पत्नी उनके पीछे पड़ गई थी।
जबकि पैगंबर खुद महिलाओं के पीछे भागते रहे।
आप फरमाते हैं कि Allah ने हज़रत इब्राहीम के बेटे इस्माईल को चाकू के नीचे से बचा लिया था।
लेकिन अपने सबसे महबूब और वड्डे नबी के नवजात बेटे पर
कोई तरस नहीं खाया और वह पिता को बिलखता हुआ छोड़कर मर गया।
आप फरमाते हैं कि Allah ने हज़रत यूनुस की दुआएं मछली के पेट में भी सुन ली और उसे बचा लिया था।
लेकिन अफसोस आयशा की गोद में पड़े हुए Rasool Allah की दुआ नहीं सुनी और वह मर गये।
आप फरमाते हैं कि हज़रत दाऊद और हज़रत याकूब के बच्चों को Allah ने लंबी उम्र से सम्मानित किया था।
लेकिन Imam-ul-Ambiya के सात में से छह बच्चे जवां होने से पहले मर गए।
हज़रत फ़ातिमा भी पैगंबर की मृत्यु के केवल दो महीने बाद चल बसी,
तब उनकी उम्र बीस साल से भी कम थी।
आप फरमाते हैं कि हज़रत मूसा से मुलाकात के लिए Allah मियां स्वयं धरती पर चले आए थे।
लेकिन अपने प्रेमी से मुलाकात की नौबत आई तो
एक खच्चर नुमा उड़ने वाले जानवर की पीठ पर बिठा कर बुलाया।
यह करोड़ों मील की यात्रा में पैगंबर की क्या हालत हो गई होगी?
उफ़ अल्लाह को रहम नहीं आया कि खुद ही नीचे आ जाते।
Allah अपने सभी नबियों को एक से बढ़कर एक चमत्कार दिए।
आप फरमाते हैं कि Allah अपने सभी नबियों को एक से बढ़कर एक चमत्कार दिए।
हज़रत इब्राहीम आग को गुलज़ार बनाने का चमत्कार दिया,
हज़रत मूसा के लाठी साँप में तब्दील होने और समुद्र में रास्ता निकालने का चमत्कार इनायत किया,
हज़रत यीशु को लोगों को मसीहा बनाया जो बीमारों को चंगा, पुरुषों को जीवित,
अंधों को आँखें अता करते थे, हजरत नूह एक ऐसी नाव बनाने का चमत्कार दिया
जिसमें सभी जिनमें व इंसान और जानवर और पक्षी और कीड़े मकोड़े आदि समा सकें,
हज़रत सुलेमान जिन्न और पशु से संपर्क बनाने का चमत्कार बख्शा।
लेकिन जब ‘इमाम-उल-अंबिया’ ने चमत्कार तलब किया तो Allah ने कहा कि “कुरान ही एक चमत्कार है”।
एक ऐसी किताब जिसके विरोधाभासों और बचकाना वैज्ञानिक तोजीहात पर अब तो लौंडे-लपाड़े भी हंसते हैं।
Allah हज़रत सुलेमान को पशुओं की भाषा समझने की शक्ति दी लेकिन
आपके प्यारे आका को अपनी मातृभाषा में भी लिखने और पढ़ने की क्षमता नहीं दी?
क्या आप अभी भी मानते हैं कि मोहम्मद “Imam-ul-Ambiya (नबियों के सरदार)” कहलाने के हकदार हैं?