आज जब देश में इतनी Berojagari (Unemployment) हैं और करोड़ों लोग Unemployed हैं। तो बड़ी मशीनें और ज्यादा लगाने और रोज़गार घटाने की इजाज़त क्यों दी गयी है?



हर देश में वहाँ के विकास का एक क्रम होता है। पहले यहाँ भी सभी लोग खेती करते थे।
फिर उनमें से कुछ लोग खेती से निकल कर खेती के लिये औज़ार बनाने लगे।
इस तरह छोटे-छोटे उद्योग पैदा होते गए।
फिर छोटे उद्योगों को और बड़ा कर सकने हेतु मशीनें बनाने के लिये मझोले उद्योगों ने जन्म लिया।
और फिर इन उद्योगों के लिये तकनीक और विज्ञान की ज़रूरत पड़ती है।
तो वैज्ञानिक बनाने के विद्यालय और फिर विश्वविद्यालय बनते हैं।
फिर इन सब के लिये बीमा, बैंकिंग, हिसाब-किताब, कम्प्यूटर की ज़रूरत पड़ती है। फिर उनका विकास होता है।
इतनी ज्यादा Berojagari बढ़ने का कारण
अगर हम फावड़ा बनाने की इजाज़त भी टाटा को दे दें।
फ़िर नमक भी वही बनाए, विश्वविद्यालय भी वही चलाए।
सुनार का लुहार का बढ़ई का सब काम वही टाटा करे।
तो जो लोग खेती से बाहर हो रहे हैं वो क्या करेंगे?
जब आप गरीबों से ज़मीनें छीन कर बड़े उद्योगपतियों को सौंप देते हैं।
तब आप उनके सामने यह शर्त नहीं रख सकते कि आपको इन उद्योगों में इस देश के लोगों को रोजगार भी देना पड़ेगा?
ये हमारी ज़मीन भी ले लेंगे। मुनाफा भी कमाएंगे। हमें Unemployed भी रखेंगे। हमारी नदी भी गंदी कर देंगे। हमारी हवा भी ज़हरीली कर देंगे। और हमारी सरकार और पुलिस इनकी जेब में पड़ी रहेगी।
ये ऐसी बातें हैं कि लोग जानते नहीं हैं, जो जानते हैं, वो बोलते नहीं नहीं, और जो बोलते उनको अलग-अलग नामों से नवाज दिया जाता है।
जो बोलेंगे उन्हें इस देश की आंतरिक सुरक्षा के लिये सबसे बड़ा खतरा बताया जायेगा। नक्सली, माओवादी, विकास विरोधी और देश के लिए ख़तरा बता दिया जाएगा।
~हिमांशु कुमार