पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में मुल्तान शहर के बहाउद्दीन जकरिया यूनिवर्सिटी (Bahauddin Zakariya University) के अंग्रेजी साहित्य विभाग में गेस्ट प्रोफेसर 33 वर्षीय Junaid Hafeez को पाकिस्तान की एक अदालत ने अपने काले कानून- पाकिस्तान दंड संहिता (Pakistan Penal Code, PPC) की धारा- 295-C (Section 295-C) के तहत ईशनिंदा यानि कुफ़्र का दोषी बना कर 21 दिसम्बर 2019, शनिवार को मौत की सजा सुना दी। यही नहीं उनपर 5 लाख रुपए का जुर्माना भी लगा दिया गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस ईशनिन्दा कानून में रहम की इजाज़त नहीं है, इसलिए हाफ़िज़ को धारा 382-B CrPC के लाभ से भी वंचित कर दिया गया था।
Junaid Hafeez पर यह मामला 2014 में शुरू हुआ था। इस मामले को लेकर पाकिस्तान में काफी बवाल हो चुका है और फैसला आने के बाद कई बुद्धिजीवियों ने इसकी कड़ी निंदा भी की है। गौरतलब रहे, Junaid Hafeez के पहले वकील राशिद रहमान को 2014 में उनके कार्यालय में गोली मारकर पहले ही खत्म किया जा चुका था। दूसरे वकील ने केस छोड़ दिया था और तीसरे वकील को लगातार धमकियाँ मिल रही थी।
क्या गलती की थी Junaid Hafeez ने?
प्रोफेसर Junaid Hafeez पर 2013 में पैगम्बर मोहम्मद के खिलाफ़ अपमान जनक पोस्ट लिखने का आरोप था। उन्होने अपनी फेसबुक पोस्ट में पैगम्बर मोहम्मद को लेकर काफी सच लिख दिया था। जो इस्लाम के जो कट्टरपंथियों को रास नहीं आया। जबकि Junaid Hafeez के वकील का कहना था कि हाफिज के नाम से किसी अन्य ने फर्जी फेसबुक अकाउंट बनाकर कुछ लिख दिया था। लेकिन घोर आश्चर्य है कि आज के दौर में भी पाकिस्तान में ईशनिन्दा जैसा काला कानून जिस पर लगा दिया जाता है, उसका सुख, चैन, शांति सब छीनकर फाँसी पर लटका दिया जाता है? जबकि शांति, मानवता के नाम पर दिये गए भाषण सभी को अच्छे लगते हैं लेकिन ऐसे भाषणों के बाद किसी आम इंसान को ईशनिन्दा के नाम पर फाँसी पर टाँग दिया जाना इन भाषणों की पोल खोल देता है।
प्रोफेसर Junaid Hafeez की तरह ही आसिया बीबी पर भी ईशनिन्दा ऐसा ही मुकदमा दायर किया गया था। लेकिन उसे वक़्त रहते ईसाई मिशनरियों ने येनकेन प्रकारेण पाकिस्तान से बाहर निकाल लिया था परंतु हर कोई उतना भाग्यशाली नहीं होता . . .
~शकील प्रेम
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