BBC ने तिहाड़ जेल में तेईस (23) साल के एक बलात्कारी का इंटरव्यू लिया, तेईस साल के उस लड़के ने मात्र पांच (5) साल की एक बच्ची के साथ Rape किया था।
वो छोटी बच्ची एक भिखारन थी जो एक मंदिर के बाहर भीख मांगती थी। लड़के ने कहा कि उस छोटी बच्ची ने उसे Rape करने के लिए उकसाया था। जब उस से ये सवाल पूछा गया कि इतनी छोटी बच्ची उसे कैसे उकसा सकती है? तो उसने कहा कि “उस लड़की ने उसे ‘वहां’ पर छुआ था। उसके छूने की वजह से ही उसने उसे ‘सबक’ सिखाया है।”
आगे जब उस लड़के से पूछा गया कि क्या उसे इस बात का पछतावा है कि उसने Balatkaar किया है। तो उसने जवाब दिया कि “हाँ उसे इस बात का पछतावा है, मगर पछतावा इस बात का नहीं है कि उसने Rape किया, बल्कि उसे पछतावा इस बात का है कि वो लड़की अब कुँवारी नहीं रही, तो इस वजह से उसकी शादी नहीं होगी। इसलिए जेल से छूटने के बाद अब वो उस लड़की से शादी कर लेगा।”
“कुंवारापन” एक धरोहर क्यों बनी है?
इस मानसिकता के पीछे का मनोविज्ञान समझिए। जेल में बंद इस लड़के को अगर किसी चीज़ की चिंता थी तो वो थी ‘लड़की का कुंवारापन’ और यही चिंता आपको भी होती है। आप चाहते हैं कि आपकी लड़की शादी तक कुँवारी बनी रहे, है न? आप अपने बेटे के लिए कुँवारी बहू ही चाहते हैं, हैं न? अगर आपको पता चल जाए कि आपकी होने वाली बहू या पत्नी का किसी से पहले सम्बन्ध रह चुका है तो आप वो रिश्ता करेंगे?
अब जब कुंवारापन इतनी क़ीमती चीज़ बन चुका है तो हर मर्द उसे पाना क्यों नहीं चाहेगा? दरअसल हमने और आपने इसे ऐसा बना दिया है। खासकर के युवा ये सोचता है कि इस कुंवारेपन में ज़रूर कोई ऐसा मज़ा होता है जो उन्हें शायद ही कभी मिल पाए। अब बड़ी लड़कियों के बारे में तो थोड़ा रिस्क होता है इसलिए छोटी लड़कियों के कुंवारेपन का मज़ा तो लूटा ही जा सकता है। उसमें हाथापाई का रिस्क भी कम है और सौ प्रतिशत कुंवारेपन की गारंटी भी है।
यही बात छोटी बच्चियों के साथ Rape की सबसे बड़ी वजह बनती है।
और है ये बहुत छोटी सी वजह, बहुत छोटा सा भ्रम लेकिन आपने इसे सदियों से सीखा और आगे अपने बेटे व बेटियों को भी सिखाया है। ये छोटा सा भ्रम या वजह सदियों से जाने कितनी जिंदगियां को बर्बाद कर रहा है।
ज़रा सोचिये, कि अगर आज से हम और आप उन लड़कियों की इज्ज़त करने लगे जिन्होंने अपनी मर्ज़ी से किसी के साथ शारीरिक सम्बन्ध बनाये हैं तो धीरे-धीरे इस वजह से छोटी बच्चियों के Rape पर लगाम लग सकती है। शादी से पहले शारीरिक सम्बन्ध बनाने वाली स्त्री जब तक कुलटा, चरित्रहीन कहलाएगी तब तक इस कुंवारेपन को लूटने वालों की भीड़ बनी रहेगी।
और ये Balatkaar की कई वजहों में से सिर्फ़ एक वजह है… अब हमें ऐसे ही एक-एक वजहों को पकड़कर उन्हें मिटाना होगा… Balatkaar कैंसर जैसी बेहद ख़तरनाक बीमारी है… जिसका कोई एक कारण नहीं होता है… सैकड़ों होते हैं… बलात्कारियों को मारने और फांसी देने से न तो कुंवारेपन को पाने की हमारे समाज की लालसा कम होती है, और न ही भूख।
हां, बेशक़ आप बलात्कारियों को फांसी दिलवाइए, मगर आपका सारा फोकस बलात्कारियों को सज़ा दिलाने पर नहीं होना चाहिए… जैसे अभी तक हमारा सारा फ़ोकस आतंकवादियों को मारने पर रहा है, न कि आतंकवाद की मूल वजह के निवारण का हमने कभी सोचा… इसीलिए आतंकवाद आज तक नहीं ख़त्म हो पाया।
एक समझदार और सच्चे समाज का काम है कि वो अपनी कमियों को देखे.. वो देखे कि हमारे बच्चे क्यों बलात्कारी बन रहे हैं? हमारे बच्चे क्यों आतंकवादी बन रहे हैं? हमारे बच्चे क्यों नहीं औरतों की इज्ज़त कर रहे हैं? और उन वजहों को तलाश कर एक-एक वजह को जड़ से समूल नष्ट करने पर ही हमारा समाज और हमारे बच्चे मानसिक रूप से स्वस्थ होंगे।
हां, इसमें वक़्त लगेगा। लेकिन जैसे इस धारणा को बनाने में सदियाँ लगी हैं कि “कुंवारापन” एक धरोहर है। एक अबला की इज्ज़त है। वैसे ही इस धारणा को मिटाने में भी सालों लगेंगे। अब सदियाँ नहीं लगेंगी क्योंकि अब इन्टरनेट और सोशल मीडिया है। अब ज्ञान बड़ी तेज़ी से और अपने आप फैलाता है। लेकिन इन्हीं धारणाओं के मिटने के बाद जो परिणाम आएगा वो स्थायी होगा। फांसी कदापि इसका स्थायी इलाज नहीं हो सकता।