Sri Krishna | श्री कृष्ण जन्माष्टमी
आज श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर चर्चा करते उस जन्म कथा की जिसको बचपन से सुन-सुन कर आप Sri Krishna को भगवान मानने में लगे हैं। ये कहानी शुरू से कपोल-कल्पित कैसे लगती है? आइए आज इसके बारे में थोड़ा सा जान लेते हैं।
पुराणों के अनुसार Sri Krishna जन्म कथा इस प्रकार है।
जब देवकी और वासुदेव को विवाह के बाद विदा किया जा रहा था, तो देवकी के भाई कंस ने निश्चय किया कि वर-वधु को वो खुद अपने मुकाम तक छोड़ कर आयेगा और उसने रथ की कमान थाम ली। जब वो रथ को लेकर थोड़ी दूर गया तो अचानक आकाशवाणी हुई जिसमें एक अज्ञात आवाज़ ने ये कहा कि देवकी का आठवाँ पुत्र ही कंस का वध करेगा।
यह आकाशवाणी सुनकर कंस क्रोधित हो उठा और वह उसी समय देवकी को जान से मारने का निश्चय करता है, किन्तु वासुदेव ने कंस को समझाते हुए कहा कि वो ऐसा ना करे अपनी बहन की हत्या का पाप अपने सिर ना ले, उन्हे जो भी संतान होगी वो (वासुदेव) खुद लाकर कंस को सौप देंगे। कंस वासुदेव पर विश्वास करता है और उन्हे जाने देता है।
जब वासुदेव के यहाँ पहला पुत्र जन्म लेता है, तो वासुदेव अपने प्रण के अनुसार बच्चे को कंस को सौपनें ले जाते है, लेकिन महाराज कंस वासुदेव से कहते है कि उन्हें वासुदेव की आठवीं संतान से ख़तरा है, अतः आप इस बच्चे को ले जाइये, ये सुनकर वासुदेव वहाँ से चले जाते है, उसी समय नारद जी वहाँ प्रकट होते है और कंस से कहते है कि आप बहुत बड़ी गलती कर रहे हैं। वासुदेव के सभी बच्चों में भगवान का अंश है। उन्हीं में से किसी के हाथों आपका विनाश होगा।
नारद मुनि की बात सुनकर कंस तुरंत वासुदेव के पास जाता है, और वासुदेव तथा देवकी को करागार मे कैद कर देता है तथा उनके पहले पुत्र की हत्या कर देता है, इसी प्रकार कंस एक के बाद एक देवकी के सात पुत्रो की हत्या कर देता है। और जब आठवें पुत्र के रुप में Sri Krishna का जन्म होता है, तो वासुदेव उस बच्चे को चमत्कारिक रुप से यशोदा तथा नंदलाल के यहाँ छोड़ आते है, जहां पर Krishna का पालन पोषण होता है।
बहुत सारे लोग ये मानते हैं कि आज श्री कृष्ण जन्माष्टमी की यह कहानी पूरी तरह काल्पनिक हो सकती है।
तो अब हम आपको इस कहानी का दूसरा पक्ष भी बताते हैं क्योंकि धार्मिक पाखंडो को उजागर करना आज जरूरी है।
इस कथा को सत्य मानने वालों से कुछ सवाल हैं?
- भगवान ने कंस को आकाशवाणी से सचेत क्यों किया था कि देवकी का आठवाँ पुत्र उनका संहार करेगा, क्या भगवान को बाकी के सात निर्दोष मासूम बच्चों की जान से कोई मतलब नही था?
- Krishna ने आठवें नम्बर पर ही जन्म क्यों लिया? अगर वो पहले ऩम्बर पर ही जन्म ले लेते तो बाकी के बच्चों की जान बच जाती।
- क्या कंस मूर्ख था, क्योंकि वो मानता था कि बहन देवकी की हत्या करेगा तो पाप लगेगा, तो उसने यह बात क्यों नही सोची की सात निर्दोष मासूम बच्चों की हत्या करने से तो उसे सात गुना पाप लगेगा?
- उस मूर्ख कंस ने यह बात क्यों नही सोची की होने वाले आठ मासूम बच्चो की हत्या करने से तो अच्छा है कि देवकी को ही खत्म कर दिया जाये, ताकि ना रहेगा बांस और ना बजेगी बांसुरी?
- चलो अगर मान भी लिया जाए कि कंस उस वक़्त खून-खराबा नहीं करना चाहता था, तो फिर उस बेवकूफ ने देवकी और वासुदेव को बंदीगृह में एक साथ क्यों कैद किया, क्या उसे इतनी छोटी सी बात समझने की अक्ल नही थी कि अगर ये दोनों एक साथ रहेंगे तो बच्चे पैदा होंगे?
- बाकी के उन सात बच्चों की हत्या का असली जिम्मेदार कौन, मारने वाला कंस या देरी से जन्म लेने वाले Krishna य़ा फिर कंस को भड़काने वाला चुगल खोर नारदमुनि?
- किसी भगवान ने नारद जैसे चुगलखोर मुनि का संहार करने की कोशिश क्यों नही की? या फिर यह कि नारद सभी काल्पनिक पौराणिक कथाओ का एक हास्य चरित्र मात्र था?
हमने इस पोस्ट में कुछ भी गलत नहीं कहा है, सिर्फ आपको जागरूक करने के लिए कुछ सामान्य से सवाल उठाएँ हैं। ये आप भी कर सकते हैं, लेकिन करते नहीं हैं।